गृहस्थ बंधन
गृहस्थाश्रम में रहकर निःसंदेह मोक्ष हो सकता है क्योंकि गृहस्थ बंधन में नहीं आता, किन्तु गृहासक्त बंधन में आता है। तात्पर्य यह है कि घर में रहना बुरा नहीं है किंतु घर से सम्बन्धित प्राणी, पदार्थों में आसक्ति करनी बुरी है, परिवार बुरा नहीं किंतु परिवार में मोह-ममता करना बुरा है, धन बुरा नहीं किंतु धनासक्ति व धन का अहंकार व दुरूपयोग बुरा है। अर्थात धन का संचय करना बुरा नहीं किन्तु धन को यथायोग्य समयानुसार धर्म कार्य में सदुपयोग न करना बुरा है।
One can undoubtedly attain salvation by living in the Grihasthashram because a householder does not get bound but one who is attached to household gets bound. The meaning is that living in a house is not bad but getting attached to the people and things related to the house is bad, family is not bad but having attachment in the family is bad, money is not bad but attachment to money, arrogance and misuse of money is bad. That is, accumulating money is not bad but not using the money properly for religious work at the appropriate time is bad.
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