आर्यसमाज डबरा - ग्वालियर द्वारा विवाह हेतु आवश्यक दस्तावेज एवं जानकारी
आवश्यक सूचना पर ध्यान दें - अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट का अधिकृत / Authorized केन्द्र डबरा के महावीरपुरा में है। ग्वालियर संभाग मेंइसके अतिरिक्त ट्रस्ट का अन्य कोई Legal केन्द्र या शाखा अथवा मन्दिर नहीं है। किसी अन्य व्यक्ति या संस्था द्वारा चलाये जा रहे किसी केन्द्र के लिए अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट जिम्मेदार नहीं है।
आर्यसमाज विवाह (Arya Samaj Marriage) करने हेतु समस्त जानकारियां फोन द्वारा प्राप्त की जा सकती हैं। विवाह सम्बन्धी जानकारी या पूछताछ के लिए आप मो.- 8989738486 ( समय - प्रातः 10 से सायं 8 बजे तक ) पर श्री देव शास्त्री से निसंकोच बात कर समस्त जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा आपको जिस दिन विवाह करना हो उस मनचाहे दिन की बुकिंग आप फोन पर करा सकते हैं। फोन द्वारा बुकिंग करने के लिए वर-वधू का नाम पता और विवाह की निर्धारित तिथि बताना आवश्यक है।
युगलों की सुरक्षा - प्रेमी युगलों की सुरक्षा एवं गोपनीयता की गम्भीरता को ध्यान में रखते हुए तथा माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रेमी युगलों की सुरक्षा सम्बन्धी दिये गये दिशा-निर्देशों के अनुपालन के अनुक्रम में हमारे आर्य समाज बिलासपुर द्वारा विवाह के पूर्व या पश्चात वर एवं वधू की गोपनीयता एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विवाह से सम्बन्धित कोई भी काग़जात, सूचना या जानकारी वर अथवा वधू के घर या उनके माता-पिता को नहीं भेजी जाती है, जिससे विवाह करने वाले युगलों की पहचान को गोपनीय बनाये रखा जा सके, ताकि उनके जीवन की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न न हो सके।
1. वर-वधु दोनों के जन्म प्रमाण हेतु हाई स्कूल की अंकसूची या कोई शासकीय दस्तावेज तथा पहचान हेतु मतदाता परिचय पत्र या आधार कार्ड अथवा पासपोर्ट या अन्य कोई शासकीय दस्तावेज चाहिए। विवाह हेतु वर की अवस्था 21 वर्ष से अधिक तथा वधु की अवस्था 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
2. वर-वधु दोनों को निर्धारित प्रारूप में ट्रस्ट द्वारा नियुक्त नोटरी द्वारा सत्यापित शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा। किसी अन्य नोटरी से सत्यापित शपथ पत्र स्वीकार नहीं किये जावेंगे।
3. वर-वधु दोनों की अलग-अलग पासपोर्ट साईज की 6-6 फोटो।
4. दोनों पक्षों से दो-दो मिलाकर कुल चार गवाह, परिचय-पहचान पत्र सहित। गवाहों की अवस्था 21 वर्ष से अधिक हो तथा वे हिन्दू-जैन-बौद्ध या सिक्ख होने चाहिएं।
5. विधवा/विधुर होने की स्थिति में पति/पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र तथा तलाकशुदा होने की स्थिति में तलाकनामा (डिक्री) आवश्यक है।
6. वर-वधु का परस्पर गोत्र अलग-अलग होना चाहिए तथा हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार कोई निषिद्ध रिश्तेदारी नहीं होनी चाहिए।
आर्यसमाज में सम्पन्न होने वाले विवाह "आर्य विवाह मान्यता अधिनियम-1937, अधिनियम क्रमांक 1937 का 19' के अन्तर्गत कानूनी मान्यता प्राप्त हैं। अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा वैवाहिक जोड़ों की कानूनी सुरक्षा (Legal Sefety) एवं पुलिस संरक्षण (Police Protection) हेतु नियमित मार्गदर्शन (Legal Advice) दिया जाता है।
सावधान ! Arya Samaj, Arya Samaj Mandir तथा Arya Samaj Marriage और इससे मिलते-जुलते नामों से इण्टरनेट पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह शासन द्वारा मान्य एवं लिखित अनुमति प्राप्त वैधानिक है अथवा नहीं। इसके लिए सम्बन्धित संस्था को शासन द्वारा प्रदत्त आर्य समाज विधि से अन्तरजातीय आदर्श विवाह करा सकने हेतु लिखित अनुमति अवश्य देख लें, ताकि आपके साथ किसी प्रकार की धोखाधड़ी ना हो। सावधान करने के बाद भी जाने-अनजाने में यदि आप गलत जगह फंसते हैं, तो अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट की कोई जवाबदारी नहीं होगी।
"आर्यसमाज संस्कार केन्द्र, डबरा ग्वालियर" अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा संचालित है। भारतीय ट्रस्ट अधिनियम (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट एक सामाजिक-शैक्षणिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। "आर्यसमाज संस्कार केन्द्र डबरा" ग्वालियर में ट्रस्ट द्वारा संचालित एकमात्र आर्यसमाज संस्कार केन्द्र है। आप यह सुनिश्चित कर लें कि आपका विवाह शासन (सरकार) द्वारा आर्यसमाज विवाह कराने हेतु मान्य रजिस्टर्ड संस्था में हो रहा है या नहीं। आर्यसमाज होने का दावा करने वाले किसी बडे भवन, हॉल या चमकदार ऑफिस को देखकर गुमराह और भ्रमित ना हों।
अधिक जानकारी के लिये सम्पर्क करें -
(समय - प्रातः 11 से सायं 8 बजे तक)क्षेत्रीय कार्यालय (ग्वालियर)
आर्य समाज संस्कार केन्द्र
अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट
ग्वालियर शाखा
डबरा, ग्वालियर
मध्यप्रदेश - 475110
हेल्पलाइन : 8989738486, 8120018052
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Arya Samaj Sanskar Kendra
Akhil Bharat Arya Samaj Trust
Gwalior Branch
DABRA, Gwalior
Madhya Pradesh - 475110
Helpline : 8989738486, 8120018052
www.aryasamajonline.co.in ----------------------------------------------
राष्ट्रीय प्रशासनिक मुख्यालय
अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट
आर्य समाज मन्दिर अन्नपूर्णा
नरेन्द्र तिवारी मार्ग
बैंक ऑफ़ इण्डिया के पास
दशहरा मैदान के सामने
बैंक कॉलोनी, इन्दौर (म.प्र.) 452009
फोन : 0731-2489383, 8120018052
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Akhil Bharat Arya Samaj Trust
Arya Samaj Mandir Annapurna
Narendra Tiwari Marg
Near Bank of India
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Bank Colony, Indore (M.P.) 452009
Tel.: 0731-2489383, 8120018052
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माता-पिता, भाई-बहन, बेटा-बेटी यह संबंध अवास्तविक हैं। आज है कल नहीं रहेगा। धन-दौलत, रुपया-पैसा ये सब नश्वर है। इससे परे एक पारलौकिक जगत है, आत्मा का जगत है। ज्ञानी लोग इसे ही सत्य मानते हैं और सांसारिक वस्तुओं को त्यागकर इसी में रमन करते हैं।
Mother-mother, brother-sister, son-daughter these relations are unreal. Today it is, tomorrow it will not be there. Wealth, money and money, all these are mortal. Beyond this there is a transcendental world, the world of the soul. Wise people consider this as truth and relinquish worldly things and rejoice in it.
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बौद्ध दर्शन 'सर्व दुःखम्' कहकर इस संसार को ही दुःखपूर्ण मानता है और इसे अविद्या की सृष्टि कहता है और जब तक यह अज्ञान दूर नहीं हो जाता तब तक निर्वाण की प्राप्ति असंभव है। ज्ञानी व्यक्ति आत्मनिरीक्षण और आत्मपरीक्षण करता है और स्थूल से सूक्ष्म की और चिन्तन करता है।
Buddhist philosophy considers this world itself as sorrowful by saying 'Sarva Dukham' and calls it the creation of ignorance and until this ignorance is removed, it is impossible to attain Nirvana. A wise person does introspection and self-examination and contemplates from the gross to the subtle.
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दुःख का कारण मूल रूप अज्ञान ही है। जब मानव वस्तु के यथार्थ स्वरूप को समझ नहीं पाता तो वह अज्ञान में जीता है। वस्तुतः दो तरह का जगत है। एक तो जो हम नेत्रों से देखते है और इसी को सत्य मान लेते हैं और जीवन भर हम इस व्यवहार जगत में ही जीते रहते हैं। शरीर इंद्रिय सृष्टि पारस्परिक संबंध इसी के स्तर पर हम जीते हुए पूरा जीवन बीता डालते हैं। यह संबंधों का जगत है और स्वार्थ पर आधारित है।
The root cause of sorrow is ignorance. When man does not understand the true nature of things, he lives in ignorance. Actually there are two types of world. Firstly, what we see with our eyes, we accept this as truth and throughout our life we live in this practical world only. We spend our whole life living at the level of body, senses, creation, mutual relations. It is a world of relations and based on selfishness.