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विशेष सूचना - Arya Samaj, Arya Samaj Mandir तथा Arya Samaj Marriage और इससे मिलते-जुलते नामों से Internet पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह वैधानिक है अथवा नहीं। ग्वालियर सम्भाग में अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा संचालित एकमात्र Legal केन्द्र डबरा के महावीर पुरा में है। भारतीय पब्लिक ट्रस्ट एक्ट (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट एक शैक्षणिक-सामाजिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। आर्यसमाज संस्कार केन्द्र महावीर पुरा डबरा के अतिरिक्त ग्वालियर सम्भाग में अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट की अन्य कोई शाखा या आर्यसमाज मन्दिर नहीं है। Arya Samaj Sanskar Kendra Dabra Gwalior is run under aegis of Akhil Bharat Arya Samaj Trust. Akhil Bharat Arya Samaj Trust is an Eduactional, Social, Religious and Charitable Trust Registered under Indian Public Trust Act. Arya Samaj Sanskar Kendra Dabra is the only controlled in Gwalior by Akhil Bharat Arya Samaj Trust. We do not have any other branch or Centre in Gwalior. Kindly ensure that you are solemnising your marriage with a registered organisation and do not get mislead by any large Buildings or Hall.
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आर्यसमाज के लिए शिवरात्रि का महत्त्व

आर्यसमाज के लिए शिवरात्रि का महत्त्व

आर्यसमाज के जन्म, निर्माण और इतिहास में शिवरात्रि की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। संसार की साधारण घटनाएं महापुरुषों के जीवन में परिवर्तन और क्रांति ला देती हैं। मूलशंकर के जीवन में शिवरात्रि सत्य का बोध और वैचारिक क्रांति लेकर आई थी। वे शिवरात्रि की रात को जागने के बाद जीवन भर कभी चैन से नहीं सोए। यदि मूलशंकर के जीवन में सच्ची शिवरात्रि न आती तो वे दयानन्द न बनते। ऋषि दयानन्द न होते तो आर्यसमाज न होता। यदि आर्यसमाज न होता तो सत्य सनातन वैदिक धर्म, वेद, यज्ञ, समाज सुधार आदि का सच्चा स्वरूप कौन दिखाता? ऋषि ने अपना सम्पूर्ण जीवन वेद के उद्धार, देश, धर्म, मानवता तथा संसार के उपकार के लिए आहुत कर दिया। ऐसा अनोखा निराला विलक्षण सत्य का शोधक, सत्यवक्ता, सत्य का प्रचारक और सत्य के लिये अपना बलिदान देने वाला महापुरुष दुनियां में कोई दूसरा नहीं हुआ है। ऋषि की विशेषताओं और उपकारों का जितना गुणगान किया जाये उतना थोड़ा है। 

सत्य तो यह है कि ऋषि के ज्ञान बोध का पर्व शिवरात्रि सब ऋषि भक्तों आर्यसमाजियों, सभा संगठन, संस्थाओं आदि के अधिकारियों के लिए आत्मचिंतन, आत्मविश्‍लेषण, कर्तव्य बोध सत्य धर्म आदि के चिन्तन और मनन का अवसर है। क्या खोया, क्या पाया, ऋषि की विचारधारा के प्रचार और प्रसार के लिए हम क्या कर रहे हैं? ऐसे अवसर सोचने, अपने को बदलने, व्रत तथा संकल्प के लिए आते हैं।•

The truth is that Shivratri, the festival of the knowledge of the Rishi, is an opportunity for all the Rishi devotees, Arya Samajis, Sabha organizations, officials of institutions etc. to introspect, self-analyze, think and meditate on duty, true religion etc. What have we lost, what have we gained, what are we doing to propagate and spread the ideology of the Rishi? Such occasions come for thinking, changing oneself, fasting and resolution.

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